“शिक्षा की बात हर शनिवार”

बिहार शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए “शिक्षा की बात हर शनिवार” नामक एक योजना शुरू की है। इस पहल का उद्देश्य स्कूलों से संबंधित विभिन्न मुद्दों, जैसे बुनियादी ढांचे की कमी, शिक्षकों की अनुपस्थिति, और छात्रों की समस्याओं को हर शनिवार को सुनकर उनका तुरंत निपटारा करना है। बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (ACS)  एस. सिद्धार्थ  इस योजना के प्रमुख प्रेरक हैं और उन्होंने इसके प्रभावी कार्यान्वपर विशेष जोर दिया है।

एस. सिद्धार्थ ने क्या कहा और इस योजना के बारे में विस्तार:

  1. योजना का उद्देश्य :-

एस. सिद्धार्थ ने कहा कि इस योजना के तहत सभी जिलों से प्राप्त होने वाली समस्याओं का समाधान जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) को करना होगा।  हर शनिवार को स्कूलों से संबंधित शिकायतों को सुनने और उनका निपटारा करने के लिए एक विशेष व्यवस्था की गई है।  निपटाए गए मामलों की जानकारी विभाग को अनिवार्य रूप से देनी होगी, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

2.शिक्षा व्यवस्था में सुधार :-

सिद्धार्थ ने जोर देकर कहा कि शिक्षक की भूमिका समाज में अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने एक बयान में कहा, शिक्षक की नौकरी कोई सामान्य सरकारी कर्मी की नौकरी नहीं है। समाज का कोई भी बच्चा शिक्षित होने से चूकता है, तो इसकी सारी जिम्मेवारी शिक्षक की है।” हालांकि, उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि शिक्षकों की समस्याओं का समाधान करना किसकी जिम्मेदारी है, जिससे यह संदेश गया कि विभाग शिक्षकों के मुद्दों पर भी ध्यान देगा।

3.स्कूलों की स्थिति पर निगरानी:- सिद्धार्थ ने स्कूलों की स्थिति की निगरानी के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं। वे अक्सर वीडियो कॉल के माध्यम से स्कूलों का निरीक्षण करते हैं, जिसके दौरान कई खामियां सामने आई हैं। उदाहरण के लिए:  एक स्कूल में बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई कर रहे थे, क्योंकि बेंच-डेस्क उपलब्ध नहीं थे। कुछ स्कूलों में शिक्षक अनुपस्थित पाए गए, जैसे एक मामले में हेडमास्टर स्कूल छोड़कर दुकान पर बैठे थे, जिसके लिए सिद्धार्थ ने कड़ी फटकार लगाई   एक अन्य मामले में, शिक्षक स्कूल छोड़कर सब्जी खरीदने चले गए थे।

  1. शिक्षकों की जवाबदेही:-

सिद्धार्थ ने शिक्षकों की भर्ती और उनकी योग्यता पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षक बीपीएससी और सक्षमता परीक्षा पास करके नियुक्त होते हैं, जबकि निजी स्कूलों में ऐसी प्रक्रिया नहीं होती। उन्होंने यूट्यूबर्स पर निशाना साधते हुए कहा,  “केवल टाई-बेल्ट और गुड मॉर्निंग-गुड इवनिंग से शिक्षा नहीं मिलती।”

  1. स्कूलों में व्यक्तिगत निरीक्षण:-

सिद्धार्थ ने न केवल वीडियो कॉल बल्कि व्यक्तिगत रूप से भी स्कूलों का दौरा किया। उदाहरण के लिए, उन्होंने पटना से ट्रेन पकड़कर आरा के बिहिया में कई स्कूलों का पैदल निरीक्षण किया। नालंदा में एक स्कूल में अचानक पहुंचकर उन्होंने बच्चों को पढ़ाया और उनकी समस्याओं को समझा।

  1. छात्र उपस्थिति और शिक्षा की गुणवत्ता:-

सिद्धार्थ की सख्ती के कारण सरकारी स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति में सुधार देखा गया है। वे लगातार शिक्षा की गुणवत्ता और स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं को बेहतर करने पर काम कर रहे हैं।

योजना का प्रभाव:

शिक्षा की बात हर शनिवार” योजना से स्कूलों की समस्याओं का त्वरित समाधान हो रहा है, जिससे शिक्षा व्यवस्था में सुधार की उम्मीद जगी है। सिद्धार्थ की सक्रियता और सख्ती ने शिक्षकों और स्कूल प्रशासन को जवाबदेह बनाया है। हालांकि, कुछ चुनौतियां जैसे बुनियादी ढांचे की कमी और शिक्षकों की समस्याएं अभी भी बरकरार हैं, जिनके समाधान के लिए विभाग को और प्रयास करने होंगे।

निष्कर्ष:

एस. सिद्धार्थ ने “शिक्षा की बात हर शनिवार”  योजना के माध्यम से बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने का बीड़ा उठाया है। उनकी सख्ती, व्यक्तिगत निरीक्षण, और शिक्षकों को जवाबदेह बनाने की नीति ने सकारात्मक बदलाव लाने की शुरुआत की है। हालांकि, इस योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि समस्याओं का समाधान कितनी तेजी और प्रभावी ढंग से हो पाता है।

 

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