बिहार की शिक्षा में SCERT का योगदान

राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (SCERT) बिहार की शिक्षा प्रणाली में एक शीर्ष शैक्षणिक संस्था के रूप में कार्य करती है। इसका गठन शिक्षा में गुणवत्ता, नवाचार और प्रेरणा को बढ़ावा देने के लिए किया गया है, ताकि समाज के परिवर्तन के लिए दार्शनिक और सामाजिक अंतर्दृष्टि प्रदान की जा सके। SCERT का मुख्य उद्देश्य पाठ्यचर्या निर्माण, पाठ्यपुस्तकों का विकास, शिक्षक प्रशिक्षण और शिक्षा नीतियों में राज्य सरकार को सहायता प्रदान करना है। यह राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की तर्ज पर कार्य करती है और बिहार में स्कूली और शिक्षक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है।

SCERT की स्थापना और उद्देश्य

SCERT की स्थापना बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में शैक्षणिक नेतृत्व प्रदान करने और अनुसंधान, नवाचार, और प्रेरणा का केंद्र बनने के लिए की गई थी। इसका लक्ष्य शिक्षा प्रणाली को समाज के परिवर्तन का माध्यम बनाना है। SCERT के प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं:

  • शैक्षणिक अनुसंधान: शिक्षा में नई तकनीकों और विधियों का विकास करना।
  • पाठ्यचर्या और पाठ्यपुस्तकें: प्री-प्राइमरी से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक की पाठ्यचर्या और पाठ्यपुस्तकों का डिज़ाइन और नवीनीकरण।
  • शिक्षक प्रशिक्षण: प्री-सर्विस और इन-सर्विस शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन।
  • नीति सलाह: राज्य सरकार को शिक्षा नीतियों और कार्यक्रमों के लिए सलाह देना।
  • नवाचार और सहयोग: अन्य राज्यों, विश्वविद्यालयों, और गैर-सरकारी संगठनों के साथ सहयोग करके नवीन शैक्षिक तकनीकों को बढ़ावा देना।

SCERT बिहार में शिक्षा विभाग के साथ मिलकर समग्र शिक्षा अभियान जैसे कार्यक्रमों को लागू करने में सहायता करती है और शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण सुधार के लिए कार्य करती है।

SCERT के प्रमुख कार्य

SCERT बिहार में शिक्षा प्रणाली को सशक्त बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य करती है। इसके कार्यों को निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:

1. पाठ्यचर्या और पाठ्यपुस्तक विकास

SCERT बिहार की पाठ्यचर्या के निर्माण और नवीनीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह बिहार पाठ्यचर्या रूपरेखा (BC cupcakes Framework – BCF) 2025 जैसे दस्तावेज़ तैयार करती है, जो शिक्षा को अधिक समावेशी और प्रासंगिक बनाने का प्रयास करता है। SCERT ने कक्षा 6 से 8 तक के लिए नवीन पाठ्यक्रम विकसित किए हैं, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के दिशानिर्देशों के अनुरूप हैं। इसके अतिरिक्त, SCERT पाठ्यपुस्तकों और पूरक शैक्षिक सामग्री, जैसे न्यूज़लेटर और जर्नल, प्रकाशित करती है, जो शिक्षकों और छात्रों के लिए उपयोगी होती हैं।

2. शिक्षक प्रशिक्षण

शिक्षक प्रशिक्षण SCERT का एक मुख्य कार्य है। बिहार में 533 ब्लॉक संसाधन केंद्र (BRC) और 5,500 से अधिक क्लस्टर संसाधन केंद्र (CRC) हैं, जो शिक्षकों को ऑन-साइट सहायता प्रदान करते हैं। SCERT इन केंद्रों के माध्यम से प्री-सर्विस और इन-सर्विस प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करती है। ये कार्यक्रम निम्नलिखित पर केंद्रित हैं:

  • प्री-सर्विस प्रशिक्षण: शिक्षकों को सेवा में प्रवेश करने से पहले प्रशिक्षित करना, जिसमें शिक्षण अभ्यास और सैद्धांतिक ज्ञान शामिल होता है।
  • इन-सर्विस प्रशिक्षण: कार्यरत शिक्षकों की क्षमता विकास के लिए विशेष थीम-आधारित प्रशिक्षण, जैसे गणित और विज्ञान में गतिविधि-आधारित शिक्षण।
  • नवाचार: शिक्षकों को डिजिटल उपकरणों और नवीन शिक्षण विधियों, जैसे प्रोजेक्ट-आधारित शिक्षण (PBL), से परिचित कराना।

उदाहरण के लिए, 2022 में SCERT ने विद्या अमृत महोत्सव के तहत शिक्षक पर्व का आयोजन किया, जिसमें शिक्षकों को गतिविधि-आधारित शिक्षण (Activity-Based Learning) पर प्रशिक्षित किया गया। इस पहल में बिहार शिक्षा परियोजना परिषद (BEPC) और मंत्रा4चेंज जैसे संगठनों ने सहयोग किया।

3. शैक्षणिक अनुसंधान और नवाचार

SCERT शिक्षा में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देती है। यह एक्शन रिसर्च, पाठ्यचर्या अनुसंधान, और शिक्षण सामग्री के विकास में संलग्न है। उदाहरण के लिए, SCERT ने ऑनलाइन मंच के माध्यम से विज्ञान, गणित, और पर्यावरण के क्षेत्र में नवाचार प्रदर्शन को प्रोत्साहित किया, खासकर कोविड-19 महामारी के दौरान। यह शिक्षकों और शिक्षक प्रशिक्षकों को अनुसंधान के अवसर प्रदान करती है और अन्य राज्यों के साथ इंटर्नशिप कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करती है।

4. शिक्षा नीतियों का कार्यान्वयन

SCERT बिहार सरकार के शिक्षा विभाग को नीतियों और कार्यक्रमों, जैसे समग्र शिक्षा अभियान और राइट टू एजुकेशन (RTE) एक्ट, को लागू करने में सहायता करती है। यह जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थानों (DIETs) और कॉलेज ऑफ टीचर एजुकेशन (CTEs) को शैक्षणिक मार्गदर्शन प्रदान करती है। SCERT ने बिहार में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा को पुनर्जनन के लिए कई नवीन कार्यक्रम शुरू किए हैं, जैसे डिजिटल शिक्षण उपकरणों का उपयोग और शिक्षकों के लिए प्रदर्शन प्रबंधन प्रणाली।

5. शिक्षक प्रबंधन और जवाबदेही

SCERT ने शिक्षक प्रबंधन और जवाबदेही को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। E-शिक्षाकोष पोर्टल के माध्यम से शिक्षकों की उपस्थिति, प्रशिक्षण, और प्रशासनिक कार्यों को डिजिटल रूप से प्रबंधित किया जाता है। इस पोर्टल ने शिक्षक अनुपस्थिति को 42% तक कम किया है और शिक्षकों की संतुष्टि दर को 97% तक बढ़ाया है। SCERT ने शिक्षकों की दक्षता परीक्षा (जैसे माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षक दक्षता परीक्षा 2023) का आयोजन किया, जिससे शिक्षकों की योग्यता और प्रदर्शन का मूल्यांकन किया गया।

बिहार की शिक्षा में SCERT का प्रभाव

SCERT के प्रयासों का बिहार की शिक्षा प्रणाली पर गहरा प्रभाव पड़ा है। इसके कुछ प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं:

1. शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार

SCERT ने शिक्षकों के प्रशिक्षण और पाठ्यचर्या के नवीनीकरण के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है। उदाहरण के लिए, SCERT की एक सर्वेक्षण के अनुसार, प्रशिक्षित शिक्षकों ने 35% बेहतर छात्र सहभागिता की सूचना दी। इसके अतिरिक्त, गतिविधि-आधारित शिक्षण और डिजिटल संसाधनों के उपयोग ने छात्रों की सीखने की प्रक्रिया को और प्रभावी बनाया है।

2. छात्र ड्रॉपआउट दर में कमी

E-शिक्षाकोष पोर्टल और SCERT के अन्य डिजिटल पहलों ने छात्र ड्रॉपआउट दर को 28% तक कम किया है। यह विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभावी रहा है, जहां माता-पिता को SMS अलर्ट के माध्यम से बच्चों की प्रगति की जानकारी दी जाती है।

3. शिक्षक सशक्तिकरण

SCERT ने शिक्षकों को प्रशिक्षण, संसाधन, और प्रशासनिक सहायता प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाया है। E-शिक्षाकोष पोर्टल ने शिक्षकों को प्रशासनिक कार्यों में 8 घंटे साप्ताहिक समय बचाने में मदद की है, जिससे वे शिक्षण पर अधिक ध्यान दे सकते हैं।

4. नवाचार और डिजिटल परिवर्तन

SCERT ने डिजिटल शिक्षण उपकरणों और ऑनलाइन संसाधनों को बढ़ावा दिया है। उदाहरण के लिए, DIKSHA पोर्टल पर शिक्षकों द्वारा नवीन शिक्षण विधियों के वीडियो और लेख अपलोड किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, 2026 में प्रस्तावित AI-आधारित सुविधाएं व्यक्तिगत शिक्षण पथ को और बेहतर बनाएंगी।

चुनौतियां और भविष्य की दिशा

हालांकि SCERT ने बिहार की शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, फिर भी कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं:

  • संसाधनों की कमी: कई DIETs और CTEs में पर्याप्त बुनियादी ढांचे और प्रशिक्षित संकाय की कमी है।
  • शिक्षक प्रेरणा: कुछ शिक्षकों में प्रेरणा और जवाबदेही की कमी बनी रहती है, जिसे और मजबूत करने की आवश्यकता है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच: ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल संसाधनों और प्रशिक्षण की पहुंच सीमित है।

भविष्य में, SCERT को इन चुनौतियों से निपटने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

  • डिजिटल बुनियादी ढांचे को और मजबूत करना।
  • शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को और अधिक प्रासंगिक और नियमित करना।
  • सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना, ताकि स्थानीय स्तर पर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो।

SCERT बिहार की शिक्षा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पाठ्यचर्या विकास, शिक्षक प्रशिक्षण, शैक्षणिक अनुसंधान, और नीति कार्यान्वयन के माध्यम से इसने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, ड्रॉपआउट दर में कमी, और शिक्षक सशक्तिकरण में योगदान दिया है। E-शिक्षाकोष जैसे डिजिटल पहल और शिक्षक पर्व जैसे नवाचारों ने बिहार की शिक्षा को राष्ट्रीय स्तर पर एक मॉडल बनाने की दिशा में कदम उठाए हैं। यदि SCERT अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को और प्रभावी ढंग से लागू करती है, तो यह बिहार की शिक्षा प्रणाली को और सशक्त बना सकती है, जिससे राज्य के बच्चे और शिक्षक दोनों लाभान्वित होंगे।

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