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हेडमास्टरों को MDM की जिम्मेदारी से मुक्त करने से वे स्कूलों में शैक्षणिक माहौल को बेहतर बनाने पर अधिक ध्यान दे सकेंगे।

बिहार के शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना (MDM) के प्रबंधन को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। अब स्कूलों के प्रधानाध्यापक (हेडमास्टर) को मध्याह्न भोजन योजना का प्रभार संभालने की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया है। इस जिम्मेदारी को अन्य शिक्षकों को सौंपा जाएगा, ताकि हेडमास्टर पूरी तरह से शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकें। यह निर्णय शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता को बेहतर करने और प्रशासनिक कार्यों को सुचारू करने के उद्देश्य से लिया गया है।

फैसले का विवरण:

निर्देश जारी:-

बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों (DEO) और जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (DPO) को पत्र जारी कर इस नए नियम को लागू करने का निर्देश दिया है। पत्र में स्पष्ट किया गया है कि हेडमास्टरों को अब मध्याह्न भोजन योजना के प्रबंधन से अलग रखा जाएगा।

  1. पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू:

यह व्यवस्था सबसे पहले एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत लागू होगी। पायलट प्रोजेक्ट की अवधि 13 मई 2025 से 13 जून 2025  तक होगी।   इस दौरान प्रत्येक जिले के  एक प्रखंड  के सभी सरकारी स्कूलों में यह नियम लागू किया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के परिणामों की समीक्षा के बाद, अगर यह व्यवस्था सफल रही, तो इसे पूरे बिहार के सरकारी स्कूलों में लागू करने पर विचार किया जाएगा।

  1. नई जिम्मेदारी:-

मध्याह्न भोजन योजना का प्रभार अब स्कूल के अन्य शिक्षकों को दिया जाएगा। यह शिक्षक MDM के प्रभारी के रूप में काम करेंगे Iप्रभारी शिक्षक की जिम्मेदारियों में शामिल होगा:    मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता का निरीक्षण करना।  भोजन वितरण से पहले और बाद में बच्चों की उपस्थिति की तस्वीरें लेना।     MDM से संबंधित दस्तावेजों का रखरखाव और समय पर रिपोर्टिंग।    यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भोजन की गुणवत्ता और स्वच्छता के मानकों का पालन हो।

  1. हेडमास्टर की भूमिका:

हेडमास्टर अब केवल शैक्षणिक गतिविधियों और स्कूल के प्रशासनिक कार्यों पर ध्यान देंगे।  वे स्कूल में पढ़ाई के माहौल को बेहतर करने, शिक्षकों के कार्यों की निगरानी, और स्कूल की समग्र प्रगति पर काम करेंगे।  इस बदलाव से हेडमास्टरों को गैर-शैक्षणिक कार्यों (जैसे MDM प्रबंधन) के बोझ से राहत मिलेगी।

फैसले का उद्देश्य:

शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार:- हेडमास्टरों को MDM जैसे गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त कर, स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता को बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा।प्रशासनिक दक्षता:- हेडमास्टर स्कूल के प्रशासनिक कार्यों को अधिक प्रभावी ढंग से संभाल सकेंगे।

कार्य विभाजन:- शिक्षकों के बीच जिम्मेदारियों का स्पष्ट विभाजन होगा, जिससे स्कूलों का संचालन अधिक व्यवस्थित होगा।MDM की गुणवत्ता:- प्रभारी शिक्षक द्वारा भोजन की गुणवत्ता और वितरण की निगरानी से MDM योजना का कार्यान्वयन और प्रभावी होगा।

पृष्ठभूमि:

बिहार में मध्याह्न भोजन योजना लाखों स्कूली बच्चों को पौष्टिक भोजन प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। पहले हेडमास्टरों को MDM का प्रबंधन, खाद्य सामग्री की खरीद, गुणवत्ता जांच, और हिसाब-किताब रखने की जिम्मेदारी दी जाती थी। इससे उनका समय और ध्यान शैक्षणिक कार्यों से हटकर गैर-शैक्षणिक कार्यों पर चला जाता था। कई हेडमास्टरों और शिक्षक संगठनों ने इस बोझ को कम करने की मांग की थी, जिसके जवाब में यह फैसला लिया गया।

अगले कदम:

पायलट प्रोजेक्ट के दौरान शिक्षा विभाग स्कूलों से फीडबैक एकत्र करेगा। प्रभारी शिक्षकों को MDM प्रबंधन के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के आधार पर, इसे पूरे राज्य में लागू करने की योजना बनाई जाएगी।

निष्कर्ष:

यह फैसला बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हेडमास्टरों को MDM की जिम्मेदारी से मुक्त करने से वे स्कूलों में शैक्षणिक माहौल को बेहतर बनाने पर अधिक ध्यान दे सकेंगे। साथ ही, MDM के प्रबंधन के लिए अलग से शिक्षकों की नियुक्ति से इस योजना का कार्यान्वयन और पारदर्शी होगा। पायलट प्रोजेक्ट के परिणाम इस नीति की भविष्य की दिशा तय करेंगे।

 

 

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