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भारत में शिक्षा का इतिहास: प्राचीन काल से आधुनिक युग तक

भारत में शिक्षा का इतिहास विश्व की सबसे प्राचीन और समृद्ध परंपराओं में से एक है। वैदिक काल से लेकर आज के डिजिटल युग तक, भारतीय शिक्षा प्रणाली ने कई बदलावों और विकास को देखा है। यह लेख भारत में शिक्षा का इतिहास को विस्तार से समझाता है, जिसमें वैदिक काल, बौद्ध काल, मध्यकाल, औपनिवेशिक युग और स्वतंत्र भारत में शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है।

1. वैदिक काल में शिक्षा (1500 ईसा पूर्व – 600 ईसा पूर्व)

भारत में शिक्षा की शुरुआत वैदिक काल में हुई, जो लगभग 1500 ईसा पूर्व से शुरू हुआ। इस समय गुरुकुल प्रणाली शिक्षा का मुख्य आधार थी। शिष्य गुरु के आश्रम में रहकर शिक्षा ग्रहण करते थे, और शिक्षा का माध्यम संस्कृत था। यह प्रणाली मौखिक शिक्षण पर आधारित थी, जहां ज्ञान को पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित किया जाता था।

वैदिक काल की शिक्षा मुख्य रूप से उच्च वर्गों (ब्राह्मण और क्षत्रिय) तक सीमित थी। फिर भी, यह प्रणाली विश्व की सबसे प्राचीन और व्यवस्थित शिक्षा प्रणालियों में से एक थी, जिसने भारतीय दर्शन और विज्ञान की नींव रखी।

2. बौद्ध काल में शिक्षा (600 ईसा पूर्व – 600 ईस्वी)

बौद्ध काल में शिक्षा प्रणाली ने एक क्रांतिकारी बदलाव देखा। भगवान बुद्ध के उपदेशों ने शिक्षा को अधिक समावेशी और सुलभ बनाया। इस काल में नालंदातक्षशिला, और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय स्थापित हुए, जो विश्व भर के विद्वानों के लिए ज्ञान का केंद्र बने।

बौद्ध शिक्षा प्रणाली ने सामाजिक समानता को बढ़ावा दिया और शिक्षा को लोकतांत्रिक बनाया, जिससे यह अधिक व्यापक और प्रभावशाली बनी।

3. मध्यकाल में शिक्षा (600 ईस्वी – 1700 ईस्वी)

मध्यकाल में भारत में शिक्षा प्रणाली पर इस्लामी प्रभाव पड़ा, खासकर मुगल शासन के दौरान। इस दौरान मदरसों और मक्तबों की स्थापना हुई, जो धार्मिक और प्रशासनिक शिक्षा के केंद्र थे।

मध्यकाल में शिक्षा का दायरा सीमित था और यह मुख्य रूप से धार्मिक और प्रशासनिक जरूरतों पर केंद्रित थी। फिर भी, इस काल में कई विद्वानों ने गणित, खगोल विज्ञान, और साहित्य में योगदान दिया।

4. औपनिवेशिक काल में शिक्षा (1700 ईस्वी – 1947 ईस्वी)

ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में भारत में पश्चिमी शिक्षा प्रणाली की शुरुआत हुई। लॉर्ड मैकाले की 1835 की शिक्षा नीति ने अंग्रेजी भाषा को शिक्षा का प्रमुख माध्यम बनाया। इसका उद्देश्य अंग्रेजी बोलने वाले भारतीय प्रशासकों को तैयार करना था।

इस काल में शिक्षा का दायरा बढ़ा, लेकिन यह औपनिवेशिक हितों को पूरा करने के लिए थी, जिसके कारण भारतीय परंपरागत ज्ञान को कम महत्व दिया गया।

5. स्वतंत्रता के बाद की शिक्षा (1947 ईस्वी – वर्तमान)

स्वतंत्रता के बाद भारत ने शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाने पर जोर दिया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1968, 1986, 2020) ने शिक्षा प्रणाली को आधुनिक और समावेशी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

आज भारत की शिक्षा प्रणाली वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी है। तकनीकी नवाचारों और नीतिगत सुधारों ने इसे और सशक्त बनाया है।

निष्कर्ष

भारत में शिक्षा का इतिहास एक लंबी और समृद्ध यात्रा है, जो वैदिक काल की गुरुकुल प्रणाली से शुरू होकर आज के डिजिटल और तकनीकी युग तक पहुंची है। प्रत्येक काल ने शिक्षा को नए आयाम दिए, और आज भारत विश्व में शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भारत में शिक्षा का इतिहास न केवल इसके गौरवशाली अतीत को दर्शाता है, बल्कि भविष्य के लिए भी प्रेरणा देता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न: भारत में शिक्षा की शुरुआत कब हुई थी?
उत्तर: भारत में शिक्षा की शुरुआत वैदिक काल (लगभग 1500 ईसा पूर्व) में गुरुकुल प्रणाली के साथ हुई।

प्रश्न: नालंदा विश्वविद्यालय क्यों प्रसिद्ध था?
उत्तर: नालंदा विश्व का पहला आवासीय विश्वविद्यालय था, जो बौद्ध दर्शन, गणित, और चिकित्सा के लिए प्रसिद्ध था।

प्रश्न: नई शिक्षा नीति 2020 के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर: समग्र शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देना।

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