पोषण वाटिका, बिहार सरकार की अनूठी पहल।

बिहार समाचार: स्कूल पोषण वाटिका – बच्चों के लिए एक स्वस्थ पहल

पटना, 11 मई 2025: बिहार सरकार ने स्कूलों में पोषण वाटिका शुरू करके कुपोषण के खिलाफ एक नया कदम उठाया है। यह पहल पोषण अभियान का हिस्सा है, जिसके तहत राज्य के सरकारी स्कूलों में छोटे बगीचे बनाए जा रहे हैं। इन बगीचों में पौष्टिक सब्जियां और फल उगाकर बच्चों को स्वस्थ भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।

बिहार में कुपोषण एक गंभीर समस्या रही है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, राज्य में 5 वर्ष से कम आयु के 41% बच्चे कुपोषित हैं। स्कूल पोषण वाटिका इस समस्या से निपटने और बच्चों को पोषण जागरूकता प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


स्कूल पोषण वाटिका: यह क्या है?

स्कूल पोषण वाटिका स्कूल परिसर में बनाया गया एक छोटा बगीचा है, जहां पौष्टिक सब्जियां (जैसे पालक, गाजर, टमाटर), फल (जैसे पपीता, अमरूद), और औषधीय पौधे (जैसे तुलसी) उगाए जाते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य स्कूल के बच्चों को ताजा और स्वस्थ भोजन उपलब्ध कराना है, जो मध्याह्न भोजन योजना में उपयोग किया जाता है।

बिहार में शुरुआत

  • यह पहल पोषण माह 2024 के दौरान शुरू की गई थी।
  • बिहार शिक्षा विभाग और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने मिलकर इसे लागू किया।
  • राज्य के 10,000 से अधिक सरकारी स्कूलों में अब तक पोषण वाटिका स्थापित की जा चुकी है।
  • स्थानीय प्रशासन, शिक्षकों, और छात्रों की भागीदारी से इन बगीचों की देखभाल की जा रही है।

स्कूल पोषण वाटिका का उद्देश्य

स्कूल पोषण वाटिका के पीछे निम्नलिखित लक्ष्य हैं:

  1. कुपोषण से लड़ाई: बच्चों को विटामिन, आयरन, और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर भोजन उपलब्ध कराना।
  2. पोषण जागरूकता: छात्रों को स्वस्थ खानपान और बागवानी की शिक्षा देना।
  3. मध्याह्न भोजन में सुधार: स्कूलों में दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता बढ़ाना।
  4. सामुदायिक भागीदारी: स्कूल, शिक्षक, और स्थानीय समुदाय को एकजुट करना।
  5. पर्यावरण संरक्षण: स्कूल परिसर में हरियाली बढ़ाना और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखना।

बिहार में स्कूल पोषण वाटिका का कार्यान्वयन

1. स्कूल परिसर में बगीचे की स्थापना

  • स्कूलों में खाली जमीन का उपयोग करके पोषण वाटिका बनाई जा रही है।
  • बिहार सरकार ने बीज, खाद, और बागवानी उपकरण प्रदान किए हैं।
  • स्थानीय जलवायु को ध्यान में रखते हुए पौधे चुने गए, जैसे पालक, मेथी, लौकी, और पपीता।

2. बच्चों की भागीदारी

  • स्कूल के छात्रों को बागवानी की प्रक्रिया में शामिल किया गया है।
  • उन्हें पौधे लगाने, पानी देने, और देखभाल करने की जिम्मेदारी दी गई है।
  • इससे बच्चों में पोषण और पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ी है।

3. शिक्षकों और अभिभावकों का सहयोग

  • शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया है ताकि वे बगीचे की देखभाल और बच्चों को मार्गदर्शन दे सकें।
  • अभिभावकों को जागरूकता अभियानों में शामिल किया गया है।

4. मध्याह्न भोजन में उपयोग

  • पोषण वाटिका से उगाई गई सब्जियों का उपयोग स्कूल के मध्याह्न भोजन में किया जा रहा है।
  • इससे भोजन की पौष्टिकता बढ़ी है और बच्चों की रुचि भी बढ़ी है।

स्कूल पोषण वाटिका के लाभ

1. बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार

  • ताजी सब्जियां खाने से बच्चों में कुपोषण और एनीमिया की समस्या कम हुई है।
  • उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी है, जिससे बीमारियां कम हो रही हैं।

2. पोषण जागरूकता

  • बच्चे बागवानी के माध्यम से स्वस्थ खानपान की आदतें सीख रहे हैं।
  • वे समझ रहे हैं कि पौष्टिक आहार उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए क्यों जरूरी है।

3. मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता

  • स्कूलों में मध्याह्न भोजन अब अधिक पौष्टिक और स्वादिष्ट हो गया है।
  • इससे स्कूल में बच्चों की उपस्थिति में भी वृद्धि हुई है।

4. पर्यावरणीय लाभ

  • स्कूल परिसर में हरियाली बढ़ी है।
  • बच्चों को पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा मिल रही है।

5. सामुदायिक एकता

  • इस पहल ने स्कूल, शिक्षक, छात्र, और अभिभावकों को एकजुट किया है।
  • स्थानीय समुदाय भी इसमें योगदान दे रहा है।

बिहार में स्कूल पोषण वाटिका का प्रभाव: ताजा अपडेट

  • मुजफ्फरपुर जिला: मुजफ्फरपुर के 500 स्कूलों में पोषण वाटिका शुरू की गई है। स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, बच्चों में कुपोषण की दर में 8% की कमी आई है।
  • दरभंगा जिला: दरभंगा में स्कूल पोषण वाटिका से उगाई गई सब्जियों ने मध्याह्न भोजन की लागत को 15% तक कम कर दिया है।
  • पटना जिला: पटना के स्कूलों में पोषण माह 2024 के दौरान 200 से अधिक वाटिकाएं बनाई गईं, जिसके परिणामस्वरूप बच्चों की स्कूल उपस्थिति में 10% की वृद्धि हुई।

चुनौतियां और समाधान

1. संसाधनों की कमी

  • चुनौती: कई स्कूलों में जमीन और पानी की कमी है।
  • समाधान: ड्रिप इरिगेशन और सामुदायिक सहयोग से संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सकता है।

2. रखरखाव की समस्या

  • चुनौती: बगीचों की नियमित देखभाल में कमी।
  • समाधान: शिक्षकों और छात्रों को प्रोत्साहन देना, जैसे बेस्ट पोषण वाटिका के लिए पुरस्कार।

3. जागरूकता की कमी

  • चुनौती: कुछ स्कूलों में शिक्षकों और अभिभावकों को इस पहल का महत्व समझ नहीं आया।
  • समाधान: जागरूकता अभियान, कार्यशालाएं, और सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार।

निष्कर्ष: स्कूल पोषण वाटिका – बिहार के बच्चों के लिए एक वरदान

बिहार में स्कूल पोषण वाटिका एक ऐसी पहल है जो न केवल कुपोषण से लड़ रही है, बल्कि बच्चों को स्वस्थ जीवन और पोषण जागरूकता की शिक्षा भी दे रही है। यह योजना बिहार सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है कि हर बच्चा स्वस्थ और शिक्षित हो।

क्या आपके स्कूल में पोषण वाटिका है? अपने अनुभव साझा करें और इस समाचार को शेयर करें ताकि अधिक लोग इस पहल के बारे में जान सकें!

Leave a Comment